Sunday 19 November 2017

बैचलर्स मकरैंडू

मक्के की रोटी 3-4 साल पहले बनानी शुरु की थी। लगभग  दो साल सर्दियों में यही नाश्ता किया। लंच की ज़रुरत ही नहीं पड़ती थी।  एक वक़्त का खाना यानि पैसे भी बचते थे। बचपन से ही हमें, सरसों के साग के साथ खाने के बजाय सुबह के नाश्ते में मलाई या मक्खन के साथ मक्के की रोटी ज़्यादा भाती थी।




इस बार फिर बनाना शुरु किया तो हर बार तवे से चिपक गई, जल गई। मज़ा नहीं आ रहा था। कल रात एक तरीक़ा सूझा, बस माहौल बन गया। आईए, पकाते हैं। आपको नहीं, आपको तो कोई भी पका लेगा।

अगर आपको दो ऐवरेज साइज़ रोटी बनानी हैं तो कटोरी में तीन अंडे फोड़ लें। स्वादानुसार नमक डाल लें। चाहें तो छोटे-छोटे पीस करके धनिया-प्याज़-टमाटर आदि भी इच्छानुसार डाल सकते हैं। मेरे पास थे ही नहीं तो डालता भी कैसे ? चाट मसाला भी डाल सकते हैं। परंपरा तोड़े बिना न तो दुनिया बेहतर होती है न स्वाद।


अंडे-धनिया-प्याज़-टमाटर आदि अच्छी तरह फेंट लें। फिर इसीसे आटा मल लें। ज़रुरी नहीं है कि हाथ से ही मलें। मेरा काम तो चम्मच से ही हो गया था। तवे पर इतना घी डालें कि अंडा जल्दी न जल जाए, मक्की अपेक्षाकृत पकने में थोड़ा ज़्यादा वक़्त लेती है। अंडा मिक्स है इसलिए बहुत ज़्यादा वक़्त भी नहीं लेगी।

आम-तौर पर मक्का पकने में काफ़ी वक्त लगता है। पर यह इतनी जल्दी, स्वादिष्ट और कुरमुरी बन गई कि मैंने इसे ‘बैचलर्स मकरैंडू’ नाम दे दिया। बैचलर या अकेले लड़के-लडकियां इसे आराम से बना सकते हैं और मज़े से खा सकते हैं। चाय के साथ, अचार के साथ, चटनी के साथ, सॉस के साथ, जैसे मर्ज़ी हो वैसे खाएं।

-संजय ग्रोवर
19-11-2017